सरसों बुवाई की अंतिम तिथि 15 दिसंबर | बस्तर में उन्नत खेती से कैसे पाएं 25 क्विंटल/हेक्टेयर उपज? DRMR, बृजराज किस्में व सल्फर है जरूरी

बस्तर के किसानों के लिए सुनहरा मौका: 15 दिसंबर तक पूरी करें सरसों की बुवाई, वैज्ञानिकों ने बताया उच्च उपज का मंत्र

कृषि विश्वविद्यालय कुम्हरावंड में सरसों की खेती प्रयोगिक तौर पर सफलतापूर्वक की गई है ।

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के किसानों के लिए सरसों की खेती आय बढ़ाने का एक बेहतरीन अवसर बनकर उभरी है। अखिल भारतीय सरसों उन्नयन परियोजना, जगदलपुर के वैज्ञानिकों ने क्षेत्र में इस फसल की उत्तम संभावनाएं देखते हुए एक विशेष सलाह जारी की है। वैज्ञानिक डॉ. रोशन परिहार ने किसानों से अपील की है कि वे इस वर्ष 15 दिसंबर की अंतिम तिथि तक सरसों की बुवाई पूरी कर लें ताकि मौसम की अनुकूल परिस्थितियों का लाभ मिल सके और विपुल उत्पादन प्राप्त हो सके।

डॉ. परिहार, जो अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन के विशेषज्ञ हैं, ने बताया कि बस्तर अंचल की मिट्टी और जलवायु सरसों के लिए काफी उपयुक्त है, बशर्ते किसान सही किस्म और तकनीक का चयन करें। उन्होंने उच्च उपज वाली किस्मों की सिफारिश करते हुए कहा, "हमारे परीक्षणों में DRMR 1165-40, DRMR 150-35, बृजराज और क्रांति किस्में यहाँ बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। इन किस्मों में रोगरोधक क्षमता अधिक है और ये देर से बुवाई के प्रति भी सहनशील हैं, जो बस्तर की स्थिति के अनुकूल है।"

सल्फर है जादुई तत्व, तेल की मात्रा बढ़ाएगा

डॉ. परिहार ने तिलहनी फसलों में एक महत्वपूर्ण बात पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "सरसों में केवल NPK (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश) ही नहीं, बल्कि सल्फर का उपयोग अवश्य करें। सल्फर तेल संश्लेषण की प्रक्रिया में सीधे भाग लेता है। इसके प्रयोग से दाने में तेल का प्रतिशत काफी बढ़ जाता है, जिससे किसान की आय में सीधा इजाफा होता है। इसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन यह एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है।"

समय पर बुवाई क्यों है जरूरी?

15 दिसंबर की समयसीमा का पालन करने की सलाह देने के पीछे वैज्ञानिक कारण बताते हुए उन्होंने कहा, "देर से बोई गई फसल को फूल आने और दाना बनने के समय अधिक गर्मी या अनियमित वर्षा का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, सफेद गेरुई (व्हाइट रस्ट) और अल्टरनेरिया झुलसा जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है। समय पर बुवाई से पौधा मजबूत बनता है और पूरी वृद्धि अवधि मिलने से दाने भी भरपूर बनते हैं।"

क्या करें? किसानों के लिए सुझाव

  • तिथि पर ध्यान दें: 15 दिसंबर तक बुवाई पूर्ण कर लें।

  • किस्म चुनें: DRMR 1165-40, DRMR 150-35, बृजराज, क्रांति में से चयन करें।

  • सल्फर न भूलें: उर्वरक के साथ जिंक सल्फेट या अन्य स्रोत से सल्फर देना सुनिश्चित करें।

  • बीज उपचार जरूर करें: बुवाई से पहले बीज को कार्बेन्डाजिम और ट्राइकोडर्मा से उपचारित कर लें।

  • कीट निगरानी: चितकबरा बग (Bagrada bug) और माहू की शुरुआती अवस्था में ही निगरानी रखें।

इस पहल का उद्देश्य बस्तर के किसानों को परंपरागत खेती के अलावा एक लाभकारी वैकल्पिक फसल उपलब्ध कराना है। सही मार्गदर्शन और तकनीक से यह क्षेत्र सरसों उत्पादन का एक नया केंद्र बन सकता है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और राज्य में तिलहन उत्पादन भी बढ़ेगा।

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basant dahiya

मेरा नाम बसंत दहिया है। मैं लगभग 20 वर्षों से प्रिंट मीडिया में सक्रिय रूप से कार्य कर रहा हूं। इसी बीच मैंने बस्तर जिला व राजधानी रायपुर के प्रमुख समाचार पत्रों में अपनी सेवा देकर लोकहित एवं देशहित में कार्य किया है। वर्तमान की आवश्यकता के दृष्टिगत मैंने अपना स्वयं का न्यूज पोर्टल- समग्रविश्व अप्रेल 2024 से शुरू किया है जो जनहित एवं समाज कल्याण में सक्रिय है। इसमें आप सहयोगी बनें और मेरे न्यूज पोर्टल को सपोर्ट करें। "जय हिन्द, जय भारत"

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