धोबीगुड़ा प्राथमिक शाला: जीर्णोद्धार की प्रतीक्षा में शिक्षा का अधूरा सपना
जिला मुख्यालय जगदलपुर से कुछ ही किमी की दूरी पर ग्राम पंचायत धोबीगुड़ा स्थित है। विकासखंड बकावंड के अंतर्गत आने वाले धोबीगुड़ा पंचायत में वैसे तो समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। पर प्राथमिक शाला धोबीगुड़ा बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित है। इस शाला में पढ़़कर ही धोबीगुड़ा के बालक-बालिकाएं अपने गांव में विकास गढ़ेंगे। बीईओ या जिम्मेदार अधिकारी यहां निरीक्षण पर कभी आते होंगे ऐसा लगता नहीं है।
खेल के मैदान पर कब्जा: बच्चों के अधिकारों का हनन
समग्रविश्व की टीम जब ग्राम पंचायत धोबीगुड़ा पहुंची तो सबसे पहले प्राथमिक शाला पर ही नजर पड़ी। यहां छोटे बालक खुली शर्ट और हाफ पैंट पहने अपनी कक्षा की तरफ जा रहे थे। यहां बच्चों के खेलने के लिए एक बेहद छोटा सा मैदान है उस पर भी ग्रामीणों ने शहीद का बुत लगाया हुआ है।
यहां छोटा मैदान होने के चलते शहीद की प्रतिमा लगाना उचित प्रतित नहीं होता जबकि पंचायत सहित ग्राम में और भी स्थान चयनित किए जा सकते थे। उच्च प्राथमिक शाला में इसके मुकाबले काफी बड़ा मैदान है वहा भी प्रतिमा स्थापित की जा सकती थी। बताया जाता है कि शाला में बुत लगाने के लिए प्रधान अध्यापिका के द्वारा भी मना किया गया था लेकिन ग्रामीण वहीं प्रतिमा स्थापित करने की जिद पर अड़े थे और यहां मठ बना दिया।
शौच के लिए बच्चे होते हैं परेशान
प्राथमिक शाला धोबीगुड़ा में वैसे तो बच्चों के लिए तीन शौचालय है बालक-बालिकाओं और दिव्यांग छात्रों के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था है। यहां साफ-सफाई की अभाव में दुर्गंध आती है साथ ही बालकों के शौचालय को मरम्मत की भी आवश्यकता है।
प्रधान अध्यापिका ने इस विषय पर बताया कि शाला में एक भी दिव्यांग छात्र नहीं है। ऐसे में दिव्यांग छात्रों के लिए बनाया गया शौचालय अभी इस्तेमाल में नहीं लिया जाता है इसे ही बालकों को इस्तेमाल के लिए देेने के लिए विचार किया जा रहा था लेकिन बीते दिनों हुई लगातार बारिश से यहां वहां तक बच्चों का पहुंचना मुश्किल है क्यों कि वहां तक जाने तक के मार्ग में बारिश का पानी और कीचड़ भरा है। शौचालय की स्थिति को देखकर ऐसा लगता है कि बीईओ-बीआरसी किसी को भी नजर नहीं आया कि अगर वास्तव में दिव्यांग छात्र विद्यालय में होते तो उन्हें किन परिस्थितियों से शौचालय तक पहुंचना पड़ता।
स्कूल गेट की जरूरत ही क्या है
ग्राम पंचायत धोबीगुड़ा प्राथमिक शाला में प्रवेश के लिए एक लोहे का स्कूल गेट है स्कूल छूटनेके बाद शायद यहां ताला भी लगाया जाता होगा। लेकिन एक नजर देखने के बाद यहां स्कूल गेट की दरकार ही मालुम नहीं होती। स्कूल की बाउंड्रीवाल एक तो छोटी है और चारों से से टूट चुकी है।
स्कूल के दौरान या रिसेस में कई बार बच्चे बाउंड्री वाल पार भी कर चुके हैं। बच्चे कहीं चले जाएं या कोई दुर्घटना ही हो जाए इसकी भी आशंका बनी हुई है।
निष्कर्ष: तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता
धोबीगुड़ा प्राथमिक शाला की स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षिक बुनियादी ढांचे की दयनीय स्थिति को उजागर करती है। बच्चों की सुरक्षा, स्वच्छता और समग्र विकास सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा विभाग के तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है। समुचित बाउंड्री दीवार, कार्यात्मक शौचालय और खेल के मैदान का संरक्षण इस स्कूल की प्राथमिक आवश्यकताएं हैं जिन्हें तुरंत पूरा किया जाना चाहिए।

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