ठेठरी, खुरमी, अइरसा, कटवा जैसे छत्तीसगढ़ी पकवानों से महका हैदराबाद
छग राजगीत, सुआ, पंथी, राऊत नाचा, बस्तारिया गीत आदि की रंगारंग प्रस्तुति दी गई
सीसीआरटी कार्यशाला में बस्तर सहित छग की आठ सदस्यीय दल शामिल
जगदलपुर। सांस्कृतिक संसाधन एवं प्रशिक्षण केंद्र (सीसीआरटी) हैदराबाद में नई शिक्षा नीति 2020 अंतर्गत शिक्षा में पुतली कला की भूमिका विषय पर 15 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 28 अगस्त से किया जा रहा है। जिसमे छग, झारखण्ड, बिहार, हरियाणा, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश आदि राज्यों के प्राथमिक शिक्षक सहभागी है।
25 अगस्त को छत्तीसगढ़ से दल रवाना हुआ हुआ है। सत्र के तीसरे दिन छत्तीसगढ़ की
टीम ने प्रदेश की संस्कृति, परम्परा, पर्यटन, बस्तर दशहरा, तीज-त्यौहार, खान-पान, वेशभूषा
और लोक गीतों की आकर्षक प्रस्तुतियां दी। प्रदर्शनी में ठेठरी, खुरमी, अइरसा, खाजा,
बताशा, लाई, करी लाडू, तीली लाडू, कटवा आदि पकवान तथा अक्ति पुतरी पुतरा बिहाव, पोरा-जांता,
गेंड़ी, नयाखानी, भोजली, मांगरोहन, सीक, पिल्ली, करसा, पर्रा, टुकनी, सूपा, झेझरी, मउहा
पान अउ पतरी, मंड़वा आदि की प्रदर्शनी लगाई। विभिन्न राज्यों से आये प्रतिनिधियों ने
जायजा लिया और छत्तीसगढ़ की संस्कृति को करीब से जाना। इस दौरान छग राजगीत, सुआ, पंथी,
राऊत नाचा, बस्तारिया गीत आदि की रंगारंग प्रस्तुति दी गई सीसीआरटी सेंटर हैदराबाद
के डायरेक्टर चंद्रशेखर, कार्यशाला के को-आर्डिनेटर सौंदर्या कौशिक, प्रवीण ने छग की
टीम को शानदार प्रस्तुति के लिए बधाई दी।
छग की टीम में अमित प्रजापति (बालोद), नीलमणी साहू (जगदलपुर), नानू यादव (रायगढ़),
रंजीता राज (सक्ति), हिरोंदा कोर्राम (कांकेर), कविता कोरी (बिलासपुर), पद्मजा गुप्ता(गरियाबंद),
श्रद्धा शर्मा (रायपुर) शामिल हैं। कार्यशाला में पुतली कला, डांस, ड्रामा, कहानी,
ड्राइंग, पेंटिग, संगीत आदि की नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत जोड़ते हुए सार्वगीण
शिक्षा प्रदान करने देश भर के शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जा रही है।