50 लाख इनामी माओवादी नेता माड़वी हिड़मा का मुठभेड़ में अंत

बड़ी खबर: टॉप माओवादी कमांडर माड़वी हिड़मा सुकमा मुठभेड़ में ढेर, 50 लाख का था इनाम

टाप माओवादी लीडर माड़वी हिड़मा का मुठभेड़ के बाद शव बरामद कर लिया गया है।

सुकमा, छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के घने जंगलों में सुरक्षा बलों ने एक बड़ी और निर्णायक सफलता हासिल की है। देश के सबसे वांछित माओवादी कमांडरों में से एक, माड़वी हिड़मा (43), मरेडमिल्ली जंगल में मंगलवार को हुई मुठभेड़ में मार गिराया गया है। हिड़मा पर केंद्र सरकार द्वारा ₹50 लाख का इनाम घोषित था।

सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि हिड़मा की दूसरी पत्नी राजे (राजक्का) भी इस मुठभेड़ में उसके साथ मारी गई है। हिड़मा पीएलजीए (PLGA) की घातक बटालियन नंबर-1 का कमांडर और सीपीआई (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी का सबसे युवा सदस्य था। वह बस्तर अंचल से इस शीर्ष नीति-निर्धारण समिति में पहुंचने वाला इकलौता आदिवासी नेता था।

कौन था माड़वी हिड़मा? एक नजर में

  • पद: कमांडर, पीएलजीए बटालियन नंबर-1 एवं सेंट्रल कमेटी सदस्य

  • इनाम: ₹ 50 लाख (केंद्र सरकार)

  • जन्म: 1981, ग्राम पूवर्ति, सुकमा

  • आरोप: 26 से अधिक बड़े घातक हमलों और अपहरण मामलों का मास्टरमाइंड

हिड़मा के खाते में दर्ज थे बस्तर के सबसे बड़े हमले

माड़वी हिड़मा पिछले डेढ़ दशक से सुरक्षा बलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती था। उसके नाम देश की कुछ सबसे भीषण नक्सली घटनाएं दर्ज हैं:

  • 2010 दंतेवाड़ा हमला: इस घटना में 76 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे, जो अब तक का सबसे बड़ा नुकसान था।

  • 2013 झीरम घाटी नरसंहार: इस हमले में 27 लोगों की मौत हुई, जिनमें वरिष्ठ कांग्रेस नेता नंदकुमार पटेल, महेंद्र कर्मा और पूर्व विधायक उदय मुदलीयार शामिल थे।

  • 2021 सुकमा-बीजापुर मुठभेड़: इस घटना में 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे।

इनके अलावा, बस्तर में हुए कई अन्य घातक हमलों, लैंडमाइन ब्लास्ट और अपहरण की घटनाओं में उसकी केंद्रीय भूमिका मानी जाती थी।

सुरक्षा बलों के लिए बड़ी राहत, सरकार बोली- निर्णायक सफलता

यह सफलता छत्तीसगढ़ और केंद्र सरकार की संयुक्त कार्रवाई का नतीजा बताई जा रही है। इस मुठभेड़ को बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद के खिलाफ लंबे संघर्ष में एक निर्णायक मोड़ माना जा रहा है। राज्य और केंद्र सरकार ने इस ऑपरेशन को सुरक्षा बलों की एक बड़ी उपलब्धि करार देते हुए माना है कि इससे क्षेत्र में नक्सल हिंसा पर काफी हद तक अंकुश लगेगा।

माड़वी हिड़मा का अंत उस लंबे अध्याय का अंत माना जा रहा है, जिसने बस्तर के जंगलों को दशकों तक हिंसा की आग में झोंके रखा।

basant dahiya

मेरा नाम बसंत दहिया है। मैं लगभग 20 वर्षों से प्रिंट मीडिया में सक्रिय रूप से कार्य कर रहा हूं। इसी बीच मैंने बस्तर जिला व राजधानी रायपुर के प्रमुख समाचार पत्रों में अपनी सेवा देकर लोकहित एवं देशहित में कार्य किया है। वर्तमान की आवश्यकता के दृष्टिगत मैंने अपना स्वयं का न्यूज पोर्टल- समग्रविश्व अप्रेल 2024 से शुरू किया है जो जनहित एवं समाज कल्याण में सक्रिय है। इसमें आप सहयोगी बनें और मेरे न्यूज पोर्टल को सपोर्ट करें। "जय हिन्द, जय भारत"

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