छत्तीसगढ़: जमीन गाइडलाइन दर में बेतहाशा वृद्धि पर कांग्रेस का हमला, दीपक बैज ने कहा - 'किसानों-गरीबों के सपने तोड़ने वाला फैसला'
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| राजीव भवन में आयोजित पत्रवार्ता में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज् के साथ वरिष्ठ कांग्रेसी। |
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस ने एक बार फिर जोरदार हमला बोला है। शुक्रवार को संभाग मुख्यालय स्थित राजीव भवन में आयोजित एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने सरकार द्वारा जमीन गाइडलाइन दरों में 10 से 100 प्रतिशत तक की गई बेतहाशा वृद्धि को "तानाशाही पूर्ण और जनविरोधी फैसला" करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि इस कदम से राज्य के किसानों, गरीबों, मध्यमवर्गीय परिवारों और छोटे व्यवसायियों के अपनी जमीन खरीदने के सपने चूर-चूर हो गए हैं।
जमीन दर बढ़ोतरी से पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा असर: बैज
दीपक बैज ने अपने संबोधन में जमीन गाइडलाइन दर बढ़ाने के दूरगामी दुष्परिणामों की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह फैसला न सिर्फ भूमि कारोबार को ठप कर देगा, बल्कि इससे पूरी राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ टूट जाएगी।
निर्माण उद्योग को झटका: उन्होंने बताया कि जमीन महंगी होने से भवन निर्माण कार्य practically बंद हो जाएगा। इसका सीधा असर सीमेंट, स्टील, रेती, गिट्टी, ईंट, सेनेटरी, हार्डवेयर, बिजली के सामान और फर्नीचर जैसे समर्थन उद्योगों पर पड़ेगा और इन क्षेत्रों में भारी मंदी आएगी।
बड़े पैमाने पर बेरोजगारी: भवन निर्माण से जुड़े लाखों कुशल और अकुशल श्रमिकों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो जाएगा। उन्होंने कहा, "यह सरकार मजदूरों की रोजी-रोटी छीनने पर तुली हुई है।"
किसान सबसे ज्यादा प्रभावित: बैज ने जोर देकर कहा कि इस फैसले का सबसे बुरा असर किसानों पर पड़ेगा। न तो वे खेती के लिए नई जमीन खरीद पाएंगे और न ही आर्थिक संकट के समय में अपनी पुश्तैनी जमीन बेचकर अपनी मदद कर पाएंगे।
राजस्व में हानि: उन्होंने चौंकाने वाला आंकड़ा देते हुए कहा, "30 लाख रुपये की जमीन के लिए 22 लाख रुपये की स्टांप ड्यूटी कोई सरफिरा या तुनकमिजाज सरकार ही लगा सकती है।" इससे लेन-देन इतना कम हो जाएगा कि सरकार को राजस्व की भारी हानि उठानी पड़ेगी।
'भ्रष्टाचार के काले धन को सफेद करने की साजिश'
कांग्रेस अध्यक्ष ने इस पूरे मामले में सरकार के इरादों पर सवाल उठाते हुए गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि जमीन की दरें बढ़ाने के पीछे सत्ता में बैठे लोगों का अपना "भ्रष्टाचार का काला पैसा" सफेद करना है।
श्री बैज ने विस्तार से समझाया, "भाजपा सरकार के मंत्रियों और सत्ताधीशों ने पिछले दो सालों में भ्रष्टाचार की जो काली कमाई की है, उसे उन्होंने जमीनों की खरीद-फरोख्त में लगा दिया। अब गाइडलाइन दरें आसमान छूने से उन जमीनों की कीमत स्वतः ही बढ़ गई है। अब वे उन्हें ऊंचे दाम पर बेचकर, प्रॉपर्टी गेन टैक्स चुकाकर, अपने काले धन को पूरी तरह से सफेद कर लेंगे।"
उन्होंने सीधे तौर पर कहा, "जनता जानती है कि किसने दमाखेड़ा के आगे बेमेतरा जिले में 300 एकड़ जमीन ली है और किसने नवा रायपुर के आगे 275 एकड़ जमीन खरीदी है। अगर इसकी निष्पक्ष जांच करा दी जाए, तो सब कुछ सामने आ जाएगा।"
हसदेव अरण्य: 5 लाख पेड़ों की कटाई और अडानी को सौंपने का आरोप
बैज ने सरकार की पर्यावरण विरोधी नीतियों पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने हसदेव अरण्य के सरगुजा रेंज के केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक को लेकर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि सरकार ने गौतम अडानी की कंपनी को 1742.60 हेक्टेयर वन भूमि को कोयला खनन के लिए गैर-वन उपयोग में बदलने की सिफारिश कर दी है, जिसे केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के पास भेजा गया है।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, "इससे 5 लाख से अधिक पेड़ों की कटाई का रास्ता साफ हो जाएगा। यह 'सेंट्रल इंडिया का लंग्स जोन' है। यही नहीं, यह क्षेत्र रामगढ़ की पहाड़ियों, प्राचीन नाट्यशाला, सीता गुफा और जानकी रसोई जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के भी करीब है, जिन्हें भारी नुकसान हो सकता है।"
उन्होंने आगे कहा कि यह इलाका पांचवीं अनुसूची का हिस्सा है और स्थानीय आदिवासी समुदाय लगातार इसका विरोध कर रहा है। "सरकार आदिवासियों के अधिकारों को कुचल रही है। हरैया, फतेहपुर, साल्ही जैसे गांवों के लोग आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी एक नहीं सुन रही।"
धान खरीदी, एसआईआर और कानून-व्यवस्था पर उठाए सवाल
प्रेस वार्ता के दौरान बैज ने राज्य की अन्य समस्याओं की ओर भी ध्यान खींचा:
धान खरीदी में गड़बड़ी: उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अपनी ही घोषित नीति के तहत प्रति एकड़ 21 क्विंटल के हिसाब से धान नहीं खरीद रही है। किसानों को टोकन नहीं मिल पा रहे हैं और एग्री स्टेक पोर्टल पर पंजीयन में आ रही दिक्कतों के कारण किसान परेशान हैं। उन्होंने कहा, "डबल इंजन की सरकार किसानों का पूरा धान 3100 रुपये के भाव से नहीं खरीदना चाहती, इसलिए जानबूझकर अड़चनें पैदा की जा रही हैं।"
एसआईआर प्रक्रिया अव्यवहारिक: मतदाता सत्यापन (एसआईआर) की प्रक्रिया को लेकर उन्होंने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि 4 दिसंबर की समयसीमा बहुत कम है और बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) दबाव में खानापूर्ति कर रहे हैं। "धान कटाई का सीजन चल रहा है, किसान सोसायटी में लाइन लगाए खड़े हैं, वे एसआईआर के लिए समय कहां से निकालें?" उन्होंने इसकी समयसीमा तीन महीने बढ़ाने की मांग की।
कानून व्यवस्था बदहाल: राज्य में हो रहे डीजी कांफ्रेंस पर टिप्पणी करते हुए बैज ने कहा कि जिस राज्य ने मेजबानी की है, वहां 6 महीने से स्थाई डीजी नहीं है। उन्होंने कहा, "छत्तीसगढ़ की कानून व्यवस्था बदहाल हो गई है। सरकार खुद मान रही है कि राज्य में पाकिस्तान से ड्रग आ रहा है और घुसपैठिए सक्रिय हैं। अपराध, हत्या, बलात्कार के मामले बढ़ रहे हैं।" उन्होंने मांग की कि डीजी कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर भी चर्चा करनी चाहिए।
इस प्रेस वार्ता में शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुशील मौर्य, पूर्व विधायक रेखचंद जैन, प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष लता निषाद, ग्रामीण जिलाध्यक्ष प्रेमशंकर शुक्ल, बलराम यादव, कविता साहू, रोजविन दास, हनुमान द्विवेदी, रविशंकर तिवारी, रमाशंकर राव, मोईन खान, अपर्णा बाजपेई, राजेंद्र पटवा, अभिषेक नायडूु, अनुराम महतो, नितीश शर्मा सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे।
