केंद्र सरकार की मज़दूर–किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी औद्योगिक हड़ताल
लाल मैदान, बचेली में संयुक्त खदान मजदूर संघ (एटक) एवं मेटल माइंस वर्कर्स यूनियन (इंटक) का एक दिवसीय धरना–प्रदर्शन
बचेली। लौहनगरी में बुधवार को देश भर में श्रमिकों, किसानों, युवाओं और आम नागरिकों पर केंद्र सरकार की जनविरोधी एवं कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के विरोध में राष्ट्रव्यापी औद्योगिक हड़ताल का आयोजन किया गया। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र कर्मचारी महासंघों के संयुक्त मंच के आह्वान पर आयोजित की गई थी।आंदोलन के समर्थन में संयुक्त खदान मजदूर संघ (एटक) एवं मेटल माइंस वर्कर्स यूनियन (इंटक) के संयुक्त तत्वावधान में लाल मैदान, बचेली में एक दिवसीय धरना–प्रदर्शन का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में खदान क्षेत्र के स्थायी एवं ठेका श्रमिक, सेवानिवृत्त कर्मी, महिलाएं, युवा व आम नागरिकों ने भाग लिया।
धरना–प्रदर्शन की प्रमुख मांगें:
- मज़दूर विरोधी चारों नए लेबर कोड को तुरंत रद्द किया जाए।
- उद्योग, बैंक एवं बीमा क्षेत्र के निजीकरण पर रोक लगाई जाए।
- ₹26,000/- प्रतिमाह न्यूनतम मजदूरी तय की जाए और सभी श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा की गारंटी दी जाए।
- पुरानी पेंशन योजना (OPS) को पुनः लागू किया जाए।
- ठेकेदारी प्रथा को समाप्त किया जाए और समान कार्य के लिए समान वेतन सुनिश्चित किया जाए।
- एक समान राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी कानून लागू हो।
- बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण हेतु प्रभावी सरकारी कदम उठाए जाएं।
- केंद्र एवं राज्य सरकारों में खाली पदों पर शीघ्र भर्ती की जाए।
- देश के युवाओं को सुरक्षित और सम्मानजनक रोजगार प्रदान किया जाए।
- आम जनता के लिए निःशुल्क एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित की जाएं।
राजनीतिक और सामाजिक संगठनों का समर्थन
इस व्यापक जनसंघर्ष को स्थानीय स्तर पर भी व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ। ब्लॉक कांग्रेस कमेटी, बचेली की ओर से वरिष्ठ नेता सलीम राजा उस्मानी, संतोष दुबे, मनोज साहा और कुमार स्वामी झाड़ी धरना स्थल पर विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने अपने संबोधन में श्रमिकों की मांगों का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार की नीतियों को "कॉर्पोरेट हितैषी और आमजन विरोधी" बताया।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) से वरिष्ठ नेता बहुलोचन श्रीवास्तव, बोमडा राम और बामन कुंजाम सहित कई अन्य कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी भी उपस्थित रहे। उन्होंने अपने वक्तव्यों में कहा—
"देश को बचाना है तो मज़दूरों, किसानों और युवाओं की आवाज़ को दबाने वाली नीतियों के खिलाफ एकजुट संघर्ष ही रास्ता है।"
यूनियन नेतृत्व की प्रेरक भूमिका
आंदोलन को दिशा देने में यूनियन नेताओं की भूमिका बेहद निर्णायक रही। इंटक सचिव श्री आशीष यादव ने कहा—
"सड़के अगर वीरान हो जाएं तो संसद आवारा हो जाएगी। हम जनता की आवाज़ बनकर सड़कों पर उतरेंगे और सत्ता की नींद हराम करेंगे।"
इंटक अध्यक्ष चंद्र कुमार मंडावी, एटक अध्यक्ष श्री जागेश्वर प्रसाद और कार्यकारी अध्यक्ष श्री रवि मिश्रा ने भी मंच से श्रमिकों के अधिकारों और देश के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा की आवश्यकता पर बल दिया।
आयोजक:
संयुक्त खदान मजदूर संघ (एटक)
मेटल माइंस वर्कर्स यूनियन (इंटक)