बस्तर दशहरा 2025: विश्व प्रसिद्ध 75 दिवसीय पर्व की पूरी जानकारी, रीति-रिवाज और समय सारणी

विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व

24 जुलाई 2025 से शुरू हो रहा है यह अनूठा पर्व

बस्तर दशहरा कोई सामान्य पर्व नहीं है। यह 75 दिनों तक चलने वाला विश्व का सबसे लंबा दशहरा पर्व है जहां रावण दहन नहीं होता, बल्कि आदिवासी संस्कृति की अनूठी परंपराओं का समागम होता है।

बस्तर दशहरा: एक परिचय

सीरासार चौक स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर यहीं सिंहद्वार के सामने पाटजात्रा की पहली लकड़ी  रखी जाती है।
जगदलपुर। जीत की खुशी को प्रकट करने का एक वीरोचित माध्यम है-दशहरा पर्व। जीत चाहे श्रीराम की हो चाहे मां दुर्गा। जीत तो आखिर जीत है। अन्याय अत्याचारों पर। दशहरा किसी एक वर्ग का पर्व नहीं है। राष्ट्रीय पर्व है। बस्तर दशहरे का एक अलग ही कीर्तिमान स्थापित है।

आमतौर पर अन्यत्र किसी एक दिन विजया दशमी को दशहरा मनाया जाता है। परंतु बस्तर का दशहरा लगभग 15 दिनों तक लगातार चलता रहता है। अपनी अनूठी परंपराओं, रीति-रिवाजों, दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाले ग्रामीणों के कारण यह उत्सव विश्वप्रसिद्ध है। बस्तर दशहरा को देखने देश-विदेश से पर्यटक यहां पहुंचते हैं।

बस्तर में मनाए जाने वाले त्योहारों में दशहरा बड़ा त्योहार है। लगभग 600 वर्ष से बस्तर में दशहरा मनाया जा रहा है। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा में रावण मारने की रस्म नहीं होती है।

बस्तर दशहरा 2025 की समय सारणी

पर्व की शुरूआत इस साल 24 जुलाई से पाठ जात्रा पूजा विधान के साथ होगी। इस साल दशहरा 75 दिन तक मनाया जाएगा। मां दंतेश्वरी मंदिर के प्रधान पुजारी कृष्ण कुमार पाढ़ी से मिली जानकारी के अनुसार 24 जुलाई को पाटजात्रा से दशहरा का आरंभ हो जाएगा। इसके बाद 05 सितंबर को डेरीगड़ाई पूजा विधान, 21 सितंबर को काछनगादी पूजा विधान, 22 सितंबर को कलश स्थापना,23 सितंबर को जोगी बैठाई पूजा विधान, 24 सितंबर से 29 सितंबर तक फूलरथ परिक्रमा की जाएगी। 29 सितंबर को ही बेल पूजा सरगीपाल में की जाएगी।30 सितंबर को महाअष्टमी पूजा व निशाजात्रा पूजा विधान होगा। 01 अक्टूबर को कुंवारी पूजा, जोगी उठाई पूजा विधान व मावली परघाव, 02 अक्टूबर भीतर रैली पूजा व रथ परिक्रमा पूजा विधान, 3 अक्टूबर को कुम्हड़ाकोट पूजा विधान व रथयात्रा पूजा विधान, 4 अक्टूबर काछन जात्रा पूजा विधान ओर मुरिया दरबार का आयोजन किया जाएगा। 5 अक्टूबर को कुटुम्ब जात्रा, देवी-देवताओं की विदाई, 7 अक्टूबर को माई दंतेश्वरी दंतेवाड़ा का विदाई पूजा विधान होगा।

एसु असन बनातर होयते दसराह तिहार
24 जुलाई पाटजात्रा चो नेंग, बिहाने 11 बज ले (मां दन्तेसरी मंदिर चो पूरे)
05 सितंबर डेरी गड़ाई चो नेंग, बिहाने 11 बजे ले (सीरासार भवन ने)
21 सितंबर काछनागादी चो नेंग सांज बेरा 5 बजे ले (भंगाराम चउक काछनगुड़ी ने)
22 सितंबर कलश स्थापना चो नेंग बिहाने 11 बजे ले (सीरासार चो जमाय गुड़ी ने)
23 सितंबर जोगी बसातोर चो नेंग, 5 बजे सांज बेरा ले (सीरासार गुड़ी ने)
24-29 सितंबर रोजे दिना नवरात पूजा चो नेंग (सहर चो सपाय मंदिर ने), फूलरथ किंदरातोर नेंग सांझ बेरा 5 बजे ले रोजे दिना (सीरासार चउक ले गोलबजार, गुरू गोविंद चउक ले दंतेसरी मंदिर तक)
29 सितंबर बेल पूजा चो नेंग बिहाने 11 बजे ले (सरगीपाल बेल चबूतरा ने)
30 सितंबर महाअष्टमी पूजा चो नेंग बिहाने 11 बजे दिन ले (मां दन्तेसरी मंदिर ने), निशा जात्रा पूजा चो नेंग, राति बेरा 10:30 बजे ले (अनुपमा चउक खेमेश्वरी गुड़ी ने)
01 अक्टूबर कुंवारी पूजा चो नेंग बिहाने 11 बजे ले (मां दन्तेसरी मंदिर ने), जोगी उठातोर चो नेंग, सांज बेरा 5 बजे ले (सिरसासार गुड़ी भीतरे), मावली परघाव चो नेंग, राति बेरा 8 बजे ले (कुटरूबाड़ा चो पुरे गीदम रोड)
02 अक्टूबर भीतर रयनी पूजा चो नेंग बिहाने 11 बजे ले (मां दन्तेसरी गुडी ने), भीतर रयनी रथ किंदरातोर नेंग, सांज बेरा 5 बजे ले (सिरहासार चउक ले धरून दन्तेसरी मंदिर ले धरून कुमडाकोट)
03 अक्टूबर बाहर रयनी पूजा नेंग, बिहाने 11 बजे ले कुमडाकोट भाटा ने, बाहर रयनी रथ किंदरातोर नेंग, सांज बेरा 5 बजे ले दन्तेसरी मंदीरअमरातोर कुमडाकोट ले धरून दन्तेसरी मंदिर चो पुरे
04 अक्टूबर काछन जातरा चो नेंग मंझन बेरा 11 बजे ले मुरिया दरबार मंझन बेरा 2 बले ले (सिरहासार गुड़ी ने सांसद, विधायक, पुजारी, मांझी, चालकी, कोटवार, मेंबर, मेम्बरीन, सरपंच चो दरबार)
05 अक्टूबर कुटुम्ब जातरा नेंग (गंगामुण्डा जातरा) बिहाने 11 बजे ले जमाय नेवतलो देव धामी चो बोहड़तो नेंग(बिदाई) (महात्मा गांधी स्कूल गीदम रोड, जगदलपुर)
07 अक्टूबर मावली माता चो डोली बोहडतो नेंग पूजा (बिहाने 11 बजे ले) दन्तेसरी मंदिर ले, 12 बजे जिया डेरा ले।

दशहरा की विभिन्न रस्मों का विवरण

पाठ जात्रा

यह बस्तर दशहराकी प्रथम रस्म हैं जो श्रावण अमावस्या को मनाया जाता है। इस रस्म में रथ निर्माण के लिए लाए गए प्रथम लकड़ी की पूजा की जाती है।

डेरी गड़ाई

भादो मास शुक्ल पक्ष के त्रयोदशी को सिरहासार में डेरी गाड़ने की रस्म पूरी की जाती है।

काछनगादी

क्वाँर मास के अमावस्या के दिन कुंआरी कन्या के ऊपर काछन देवी आती हे, जिसे बेल कांटा के झूले पर बिठाकर दाहरा मनाने की अनुमति मांगते हैं।

कलश स्थापना और जोगी बिठाई

काछनगादी के दूसरे दिन दंतेश्वरी मांई के मंदिर में उसके बाद अन्य मंदिरों में कलश स्थापना कर ज्योति जलाई जाती है। शाम को दशहरा निर्विघ्न संपन्न होने की कामना के साथ जोगी बिठाई जाती है।

फूलरथ

क्वांर मास शुक्ल पक्ष के द्वितीया से सप्तमी तक चार चक्के के रथ में मांई जी का छत्र रखकर परिक्रमा की जाती है, जिसे फूल रथ कहा जाता है।

दुर्गास्टमी और निशाजात्रा

कुआंर शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन पूजा अर्चना के बाद रात्रि में निशाजात्रा का विधान पूर्ण किया जाता है।

कुंआरी पूजन, जोगी उठाना एवं मावली परघाव

क्वांर शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को दंतेश्वरी मंदिर में नौ कुंआरी कन्याओं का पूजन कर भोग प्रसाद खिलाया जाता है। संध्या को नौ दिन तक जप-तप करते दशहरा निर्विघ्न संपन्न होने की कामना करने वाले जोगी को उठाया जाता है एवं मान स्वरूप वस्तुएं भेंट की जाती है। रात्रि में दंतेवाड़ा से पधारी दंतेश्वरी का छत्र एवं मावली माता की डोली का सम्मान किया जाता है, जिसे मावली परघाव कहते हैं।

भीतर रैनी

क्वांर शुक्ल पक्ष दशमी के दिन भीतर रैनी रस्म में आठ चक्के का बड़ा रथ चलाते हैं। इस दिन रथ को कुम्हड़ाकोट ले जाते हैं।

बाहर रैनी

इस दिन कुम्हड़ाकोट में देवी-देवताओं की पूजा उपरांत राजपरिवार के लोग नया अन्न ग्रहण करते हैं। फिर माता के छत्र को रथारूढ़ कर दंतेश्वरी मंदिर लाते हैं।

मुरिया दरबार

बाहर रैनी के दूसरे दिन दशहरा समाप्त होने पर सिरहासार में सांसद, विधायक, मांझी, चालकी, मेंबर, मेंबरीन, सरपंच, कोटवार और समस्त विभाग के अधिकारी बैठक कर प्रजा की फरियाद सुनते हैं।

कुटुम जातरा

मुरिया दरबार के दूसरे दिन गंगामुंडा में कुटुम जातरा उपरांत दशहरा में सम्मिलित होने विभिन्न स्थानों से पधारे देवी-देवताओं की सम्मान सहित विदाई की जाती है।

माता दंतेश्वरी और मावली की विदाई

दशहरा पर्व के अंतिम रस्म में दंतेवाड़ा से पधारी माता दंतेश्वरी एवं मावलीमाता कोसम्मान सहित विदा की जाती है।

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basant dahiya

हमारा नाम बसंत दहिया है। हम पिछले 20 वर्षों से प्रिंट मीडिया में सक्रिय हैं। इस दौरान हमने अपने जिला व राजधानी रायपुर में प्रमुख बड़े समाचार पत्रों के साथ जुड़कर काम किया। अप्रेल 2024 से हमने अपना न्यूज पोर्टल समग्रविश्व की शुरूआत की है।

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