बस्तर में बड़े गांजा तस्करों और सप्लायरों पर कार्रवाई की दरकार, सालभर होती है गांजा तस्करों पर कार्रवाई
जगदलपुर।
देश में सबसे ज्यादा गांजा की खपत छत्तीसगगढ़ में, ड्रगपैडलर की संपत्ति जब्त की जाए। ये बात देश के
गृहमंत्री अमित शाह ने 25 अगस्त को नया रायपुर में नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के दफ्तर का आनलाइन
उद्घाटन के दौरान कही थी। उन्होंने कहा था कि जब तक पूरे नेटवर्क पर प्रहार नहीं करेंगे
तब तक एक नशामुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते।
2024 में बस्तर पुलिस ने लगातार गांज तस्करों
पर कार्रवाई की। पिछले 12 महीनों में पुलिस ने 1 किलो से लेकर कई क्विंटल तक गांजा, तस्करी के लिए प्रयुक्त
वाहन और रुपए जब्त किए। गिरफ्तार किए गए गांजा तस्करों में एक बड़ी संख्या अंतरराज्यीय
तस्करों की है। तस्कर जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार किया
अधिकांश छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, यूपी व बिहार के
थे। खास बात
इन तस्करों में महिलाएं व नाबालिग आरोपियों पर
भी कार्रवाई की गई। वहीं एकाध सप्लायर भी दबोचे गए। लेकिन अब भी बड़े गांजा तस्करों और सप्लायरों पर कार्रवाई
की दरकार है।
बड़ी मछलियां अभी भी पहुंच से दूर
बस्तर जिले
में शराब व नशीली दवा के साथ गांजा जैसे मादक पदार्थों की तस्करी सालों से जारी है। बड़ी मात्रा में गांजा तस्करी होती है इसमें लोकल व अंतरराज्यीय तस्करों के अलावा कई बड़े लोग शामिल हैं। मुखबिर की सूचना के आधार पर तस्करों पर कार्रवाई तो की जाती
है लेकीन बड़े माफिया अब भी पहुंच से बाहर हैं।
जो लोग गांजा का उत्पादन करते हैं और बड़े सप्लायर पहुंच से
अभी दूर हैं। बड़ी मात्रा पर नजर डाले तों 10 जनवरी को दरभा में 69 किलो गांजा के साथ 6 आरोपी धरे गए थे। 6 अप्रेल को बोधघाट
पुलिस ने 32 किलो गांजा के साथ अंतरराज्यीय तस्करों को पकड़ा था।15 जुलाई को दरभा पुलिस
ने 60 किलो गांजा
पकड़ा।27 सितंबर को नगरनार पुलिस ने 251 किलो गांजा जब्त कर बड़ी सफलता पाई थी। पर जैसा की देश के गृहमंत्री ने कहा
था कि नशामुक्त भारत के लिए पूरे नेटवर्क पर प्रहार करने की जरूरत है। इस लिहाज पुलिस
बड़े गांजा तस्करों पर कार्रवाई करे ऐसा लोगों
का कहना है।
गांजा देश में दूसरे नंबर की पसंद
नेशनल ड्रग
डिपेंडेंस ट्रीटमेंट (एनडीटीटी) एम्स की रिपोर्ट आई थी जिसके अनुसार देश की जितनी आबादी नशा करती है। उन सब
मे उपयोग लाए जाने वाले मादक पदार्थों में शराब पहले नंबर पर है। गांजा दूसरे नंबर
पर आता है।
बस्तर लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय तस्करों का कारीडोर
जिले के
वरिष्ठ पत्रकार रीतेश पांडेय इस संबंध में कहते हैं कि बस्तर लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय
गांजा तस्करों का कारीडोर रहा है, ओडिशा के मलकानगिरी पहाड़ियों की तराई पर स्थानीय ग्रामीण
नक्सलियों की शय पर वृहद पैमाने पर गांजा की खेती करते रहे हैं। ओडिशा से सीमावर्ती
जिलों सुकमा, बस्तर, कोंडागांव के अंदरूनी रास्तों से देश के विभिन्न नगरों में गांजे की तस्करी
की जाती रही है। सेंट्रल नारकोटिक्स ब्योरों का क्षेत्रय कार्यालय छत्तीसगढ़ में तस्करों
पर नकेल कसने अच्छी पहल होगी।
गांजा के सेवन से होती है मानसिक बिमारियां
मुख्य चिकित्सा
एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय बसाक ने बताया कि गांजा से होने वाले दुष्प्रभाव के
बावजूद लोग इसका सेवन करते हैं। गांजा के ज्यादा सेवन से मानसिक बिमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
लगातार सेवन से तनाव व अवसाद पैदा हो सकता है। गला, मुंह में सूजन और खांसी बनी रहती
है। आगे चलकर स्वसन संबंधी रोग भी हो सकते हैं।