चातुर्मास काल में आई जैन साध्वी शुक्लप्रज्ञा जी का दीक्षा लेने के 23 साल बाद पहली बार जगदलपुर आगमन हुआ

चातुर्मास काल में आई जैन साध्वी शुक्लप्रज्ञा जी का दीक्षा लेने के 21 साल बाद पहली बार जगदलपुर आगमन हुआ

परम पूज्य साध्वी शशिप्रभा श्री जी म.सा. से दीक्षा लेने से पूर्व प्रतिभा लुंकड़ कहलाती थीं

जगदलपुर(समग्रविश्व)। विगत 20 जुलाई से चातुर्मास काल प्रारंभ हुआ। अब पर्युषण पर्व शुरू हो चुका है। इस वर्ष चातुर्मास में धर्मचर्चा करने तीन जैन साध्वियाें का बस्तर आगमन हुआ हैं। इनमें से शुक्लप्रज्ञा श्री जी म. सा. का जन्म जगदलपुर में हुआ था और वे पूर्व में प्रतिभा लुक्कड़(पप्पी) कहलाती थीं। आज से 21 वर्ष पूर्व वे जैन साध्वी बनीं थीं और दीक्षा ग्रहण करने के बाद वे पहली बार गृहनगर जगदलपुर पहुंची हैं।

शहर के धनाड्य परिवार इंद्रावती टाइल्स फैक्ट्री के ऑनर और प्रतिष्ठित नवरतन लुंकड़ परिवार में जन्मी प्रतिभा दो भाईयों की छोटी बहन थीं जिन्हें परिवार से अत्यधिक स्नेह प्राप्त था। प्रतिभा जी एमए तक शिक्षित हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा जगदलपुर स्थित बाल विहार विद्यालय से हुई थी और उन्होंने उच्च शिक्षा स्थानीय दंतेश्वरी कॉलेज से ली है। करीब 25 वर्ष पूर्व परम पूज्या शशि प्रभा जी म सा का जगदलपुर आगमन हुआ था तब प्रतिभा जी का गुरूवर्या से संपर्क हुआ और उन्होंने दो वर्ष तप साधना के बाद दीक्षा ली। अब वे शुक्लप्रज्ञा श्री जी मसा के रूप में तप करते हुए संयम जीवन जी रही हैं।

23 वर्ष पूर्व संयम जीवन धारण किया

चातुर्मास काल में आई जैन साध्वी शुक्लप्रज्ञा जी का दीक्षा लेने के 23 साल बाद पहली बार जगदलपुर आगमन हुआ

प्रतिभा लुंकड़(पप्पी) ने करीब 23 वर्ष पूर्व सांसारिक जीवन छोड़ वैराग्य की दीक्षा ग्रहण की। स्वभाव से चंचल प्रतिभा जी के हृदय में धर्म के बीजों का अंकुरण काफी पहले हो चुका था। संसार के प्रति विरक्ति आई और उन्होंने संयम जीवन जीने का निर्णय लिया। 25 वर्ष पूर्व परम पूज्या शशि प्रभा श्री जी मसा का जगदलपुर आगमन हुआ था। उस समय पप्पी (प्रतिभा लुंकड़) का पूज्य गुरूवर्या से संपर्क हुआ। उन्होंने प्रतिभा की प्रतिभा को पहचाना और उनके जीवन में परिवर्तन आया और वे संपूर्ण जीवन गुरू के चरणों में समर्पित कर जैन साध्वी बनीं। दो वर्ष गुरूवर्या श्री के साथ पदयात्रा करने के बाद पालीतना तीर्थ गुजरात में शशि प्रभा जी से दीक्षा ग्रहण कर उन्हें अपना गुरू स्वीकार किया। 6 फरवरी 2003 बसंत पंचमी के दिन मुमुक्षु काल पूर्ण होने के बाद उन्होंने मणिप्रभ सागर जी के सानिध्य में दीक्षा ग्रहण की।

सन्यास के बाद 500 तेले का उपवास कर चुकी

चातुर्मास काल में आई जैन साध्वी शुक्लप्रज्ञा जी का दीक्षा लेने के 23 साल बाद पहली बार जगदलपुर आगमन हुआ
शहर के बाल विहार वि‌द्यालय से प्रारंभिक शिक्षा ली थीं सबसे नीचे दाएं से तीसरी।

शुक्लप्रज्ञा श्री जी म. सा. ने अपने जीवन में संयम शुद्धि के लिए तप कर रही हैं। वे दीक्षा के बाद से अब तक 500 तेला उपवास कर चुकी हैं। एक तेला उपवास का मतलब तीन दिन के उपवास का एक सेट होता है। इस उपवास में साधक तीन दिनों तक निराहार रहकर केवल जल ही ग्रहण करता है। इसके अलावा 31 उपवास (मास क्षमण) व 9 उपवास किया है।

कार ड्राइव करने वाली शहर की पहली युवती थीं प्रतिभा जी

चातुर्मास काल में आई जैन साध्वी शुक्लप्रज्ञा जी का दीक्षा लेने के 23 साल बाद पहली बार जगदलपुर आगमन हुआ
प्रतिभा जी 80-90 के दशह में जब जगदलपुर एक छोटा सा कस्बा था। यह वह दौर था जब महिलाएं व युवतियां कुछ बंदिशों में रहती थीं। यह फिएट, पद्मनी और एंबेस्डर कार का युग था और नई नवेली मारूती 800 ने दस्तक ही दी थी। 9 वर्ष की अल्पायु में ही उन्होंने कार चलाना सीख लिया था।  एक छोटी सी लड़की जो कार के पास जाकर देखने पर ही नजर आती थी। जब भी वह कार चलाते जगदलपुर की सड़कों पर गुजरती तो लोगों उसे ही देखने लगते थे। वे शहर की पहली युवती थीं जो कार ड्राइव करती थी। वे जगदलपुर से रायपुर तक कार ड्राइव कर चले जाती थीं।वर्तमान में वे संयम जीवन का शुद्धता से पालन कर रही हैं साथ ही औरों को भी धर्म के प्रति जागरूक कर रही हैं।




basant dahiya

मेरा नाम बसंत दहिया है। मैं लगभग 20 वर्षों से प्रिंट मीडिया में सक्रिय रूप से कार्य कर रहा हूं। इसी बीच मैंने बस्तर जिला व राजधानी रायपुर के प्रमुख समाचार पत्रों में अपनी सेवा देकर लोकहित एवं देशहित में कार्य किया है। वर्तमान की आवश्यकता के दृष्टिगत मैंने अपना स्वयं का न्यूज पोर्टल- समग्रविश्व अप्रेल 2024 से शुरू किया है जो जनहित एवं समाज कल्याण में सक्रिय है। इसमें आप सहयोगी बनें और मेरे न्यूज पोर्टल को सपोर्ट करें। "जय हिन्द, जय भारत"

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