गोंचा पर्व : भगवान जगन्नाथ जनकपुरी से वापस लौटे श्रीधाम
जगदलपुर(समग्रविश्व)। 9 दिनों के बाद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और
भगवती सुभद्रा जनकपुरी से श्री धाम वापस लौट गए हैं। सोमवार को बस्तर गाेंचा रथयात्रा
पर्व का अंतिम दिन था। बाहुड़ा गोंचा पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और भगवती सुभद्रा के
22 विग्रह को जनकपुरी से पूजा अर्चना और आरती के पश्चात रथारूढ़ किया गया और
परिक्रमा शुरू हुई। तय मार्ग से होते हुए परिक्रमा श्री मंदिर पहुंची। इस दौरान
बड़ी संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं ने तुपकी चलाकर भगवान को सलामी दी। श्री मंदिर
में जगन्नाथ के जयकारे व हरि बोलो के उद्घोष के साथ जगन्नाथ मंदिर के मुख्य दरवाजे पर
विग्रहों काे उतारा गया। यहां नाराज माता लक्ष्मी को मनाने भगवान की वार्तालाप हुई।
रस्म के उपरांत भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के विग्रहों को श्री
मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया गया।
गोंचा पर्व में शामिल होने वन मंत्री केदार कश्यप, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व जगदलपुर विधायक किरण देव, चित्रकोट विधायक विनायक गोयल सहित अन्य जनप्रतिनिधि पहुंचे थे।
दी गई तुपकी से सलामी
विश्व प्रसिद्ध गोंचा पर्व में भगवान जगन्नाथ को तुपकी से सलामी दी जाती है। बस्तर में बंदूक को तुपक कहा जाता है। तुपक शब्द से ही तुपकी शब्द बना है। रथयात्रा के दौरान बच्चे व युवा रंग-बिरंगी तुपकियां लेकर चलते हैं और भगवान को सलामी देते हैं। बाजार में यह 40 रुपए में एक तुपकी मिल रही थी। साथ ही इसमें प्रयुक्त होने वाले पेंग के बीज (मलकांगिनी एक औषधीय पौधा) दस रुपए झूड़ी में बिका।