बस्तर के मंदिरों में पुजारियों का वेतन 65 साल से अटका! 3200 रुपए में चल रहा परिवार

"3200 रुपए महीने में पूजा-आरती और परिवार का गुज़ारा: बस्तर के पुजारियों का वेतन 65 साल से 'ठंडे बस्ते' में"

तहसीलदार ने माना- 'प्रस्ताव नहीं आया',  दशहरा कर्मियों को 35 लाख के मुकाबले पुजारियों की उपेक्षा पर सवाल

ऐतिहासिक दंतेश्वरी मंदिर यहां साल में 12 मास श्रद्धालु व पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। मंदिर का भवन संभाग के सबसे सुंदर इमारतों में से एक है।
मां दंतेश्वरी मंदिर जगदलपुर।

जगदलपुर। बस्तर के ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के मंदिरों में सेवाएं दे रहे पुजारियों और सेवादारों का मानदेय (वेतन) लगभग 65 वर्षों से एक जैसा ही है। बस्तर स्टेट टेंपल कमेटी के तहत आने वाले दर्जन भर मंदिरों में, पुजारियों को महज 3200 रुपए और सेवादारों को 1500 रुपए प्रतिमाह ही दिए जा रहे हैं, जबकि महंगाई दिन-ब-दिन आसमान छू रही है।

यह स्थिति तब है, जबकि इन्हीं मंदिरों की वजह से बस्तर धार्मिक पर्यटन का केंद्र बना हुआ है। दंतेश्वरी मंदिर समेत अन्य मंदिरों में सुबह से शाम तक, और पर्वों के दौरान रात तक सेवा देने वाले इन पुजारियों और सेवादारों का जीवन-यापन इस रकम से चलाना मुश्किल हो रहा है।

क्या कहते हैं पुजारी?

  • "हमारा मानदेय किसी सरकारी कर्मचारी के बराबर मिलना चाहिए।"

  • "न ढंग का वेतन है, न आवास की व्यवस्था।"

  • "कई नेता-मंत्रियों से रखी गुहार, मिले सिर्फ आश्वासन।"

ऐतिहासिक उपेक्षा का सिलसिला:
एक पुजारी ने बताया कि विख्यात दंतेश्वरी मंदिर के मुख्य पुजारी स्व. लल्लू पाढ़ी महाराज को 60 रुपए प्रतिमाह मिलते था। सन 1958 में रायपुर कमिश्नर के आदेशानुसार 11 रुपए वेतन और 10 रुपए डीए बढ़ोतरी की बात थी, जिसका पालन कभी नहीं हुआ। 2018 से पूर्व 2700 रुपए मानदेय मिलता था जिसमें 500 रुपए की मामूली वृद्धि करने के बाद महज 3200 रुपए मिल रहे हैं और तब से आज तक कोई वृद्धि नहीं हुई।

प्रशासन और जनप्रतिनिधि कहाँ हैं?
तहसीलदार जगदलपुर राहुल गुप्ता ने इस मामले में स्पष्ट किया, "मेरे पास अब तक पुजारियों के वेतन वृद्धि से संबंधित किसी प्रस्ताव की जानकारी नहीं है। टेंपल कमेटी की बैठक रखकर इस पर चर्चा की जा सकती है।"

वहीं, स्थानीय विधायक किरण देव, जो हाल ही में बस्तर दशहरा के पारंपरिक कर्मियों के लिए 35 लाख रुपए के मानदेय की स्वीकृति दिलाने में सफल रहे, पुजारियों की इस मूलभूत समस्या के लिए सुनवाई नहीं दे रहे। पुजारियों का कहना है कि विधायक किरण देव को हमारी इस वर्षों पुरानी मांग पर भी पहल करनी चाहिए।

विरोधाभास पर सवाल:
एक तरफ दशहरा के कुछ दिनों के काम के लिए कर्मियों को लाखों रुपए का मानदेय स्वीकृत किया गया है, वहीं साल भर मंदिर की सेवा में लगे पुजारियों का वेतन 3200 रुपए पर स्थिर है। यह विरोधाभास सवाल खड़ा करता है कि क्या धार्मिक कर्मचारियों के हकों की अनदेखी की जा रही है?

पुजारी व सेवादार उपेक्षा का शिकार
बस्तर की सांस्कृतिक-धार्मिक विरासत की रक्षा करने वाले ये पुजारी और सेवादार आज आर्थिक उपेक्षा का शिकार हैं। प्रशासनिक और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी ने उनकी समस्या को दशकों पुराना बना दिया है। अब देखना है कि क्या यह मामला विधायक और उच्च प्रशासन के एजेंडे पर आता है, या फिर 1958 का आदेश आज भी फाइलों में ही दबा रहेगा।

📰 संबंधित समाचार: बस्तर दशहरा के कर्मियों को मिली मानदेय स्वीकृति

मुख्य बातें:

  • ऐतिहासिक बस्तर दशहरा महापर्व से जुड़े सैकड़ों पारंपरिक कर्मियों और कलाकारों (जैसे मांझी, पुजारी, कलाकार) के लिए राज्य शासन ने लगभग 35.41 लाख रुपये के मानदेय को स्वीकृति प्रदान की है।

  • इस स्वीकृति में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक किरण देव के प्रयासों को महत्वपूर्ण बताया गया है, जिन्होंने शासन से इन कर्मियों के मानदेय के आवंटन का अनुरोध किया था।

  • स्वीकृत राशि को मांझी-चालकी, मेंम्बरीन, पुजारी-सेवादार तथा दशहरा से जुड़े विशेष कार्यों (जैसे रथ निर्माण, मुंडा बाजा वादन) के लिए अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

संदर्भ:
यह निर्णय बस्तर दशहरा जैसे 75 दिनों तक चलने वाले सांस्कृतिक महापर्व की गरिमा को बनाए रखने और इसमें योगदान देने वाले कर्मकारों के प्रति सम्मान को दर्शाता है।

पूरी खबर यहाँ पढ़ें: बस्तर दशहरा: किरण देव के प्रयास से मांझी, पुजारियों और कलाकारों के मानदेय की स्वीकृति




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basant dahiya

मेरा नाम बसंत दहिया है। मैं लगभग 20 वर्षों से प्रिंट मीडिया में सक्रिय रूप से कार्य कर रहा हूं। इसी बीच मैंने बस्तर जिला व राजधानी रायपुर के प्रमुख समाचार पत्रों में अपनी सेवा देकर लोकहित एवं देशहित में कार्य किया है। वर्तमान की आवश्यकता के दृष्टिगत मैंने अपना स्वयं का न्यूज पोर्टल- समग्रविश्व अप्रेल 2024 से शुरू किया है जो जनहित एवं समाज कल्याण में सक्रिय है। इसमें आप सहयोगी बनें और मेरे न्यूज पोर्टल को सपोर्ट करें। "जय हिन्द, जय भारत"

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