सामुदायिक स्वास्थ्य की पहल: डोगाम स्कूल में विश्व रेबीज दिवस पर छात्रों को किया गया जागरूक
जगदलपुर, बस्तर। विश्व रेबीज दिवस 2025 के अवसर पर गोद ग्राम डोगाम की पूर्व माध्यमिक शाला के छात्र-छात्राओं को रेबीज जैसी घातक बीमारी के प्रति सजग और शिक्षित करने हेतु एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम वेटनरी पॉलिटेक्निक, जगदलपुर और स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ।
"एक्ट नाउ: यू, मी एंड कम्युनिटी" थीम के साथ हुई शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत वेटनरी पॉलिटेक्निक, जगदलपुर के प्रभारी प्राचार्य, डॉ. नितेश कुम्भकार ने इस वर्ष की थीम "एक्ट नाउ: यू, मी एंड कम्युनिटी" (अभी कार्य करें: आप, मैं और समुदाय) के साथ की। उन्होंने थीम का अर्थ समझाते हुए जोर देकर कहा कि रेबीज जैसी बीमारी से निपटने के लिए पूरे समुदाय को एकजुट होकर समझदारी से सामना करना होगा।
रेबीज क्या है और कैसे फैलती है?
डॉ. कुम्भकार ने बताया कि रेबीज एक जानलेवा वायरल बीमारी है, जो लाइसा वायरस के कारण होती है। यह बीमारी संक्रमित जानवर (जैसे कुत्ता, बिल्ली) के काटने, खरोंचने या यहाँ तक कि उसके नाखून लगने से भी फैल सकती है। यह वायरस मस्तिष्क और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि संक्रमण के तुरंत बाद चिकित्सकीय सहायता लेना और टीका लगवाना ही इससे बचाव का एकमात्र कारगर उपाय है।
सामूहिक टीकाकरण और 'वन हेल्थ' दृष्टिकोण पर हुई चर्चा
डॉ. राजेश सुधाकर वाकचौरे, सहायक प्राध्यापक ने रेबीज नियंत्रण के व्यापक पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने सामूहिक कुत्तों के टीकाकरण एवं नसबंदी अभियान, 'वन हेल्थ' (एक स्वास्थ्य) की अवधारणा, जनजागरूकता और राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने इस लड़ाई में सामुदायिक सहभागिता और स्कूली शिक्षा की अहम भूमिका को रेखांकित किया।
भारत में रेबीज का स्तर और प्राथमिक उपचार
डॉ. प्रतिभा ताटी ने चिंताजनक आँकड़े साझा करते हुए बताया कि रेबीज से भारत में हर साल लगभग 20,000 लोगों की मौत होती है, जबकि दुनिया भर में यह संख्या 60,000 तक पहुँच जाती है। उन्होंने कुत्ते के काटने की स्थिति में तुरंत किए जाने वाले प्राथमिक उपचार पर विस्तृत मार्गदर्शन दिया:
घाव को 15-20 मिनट तक साबुन और बहते पानी से अच्छी तरह धोएं।
घाव को सुखाने के बाद उस पर पोविडोन-आयोडीन या कोई अन्य रोगाणुरोधक दवा लगाएं।
तत्पश्चात, एंटी-रेबीज वैक्सीन की सभी खुराक निर्धारित समय पर अवश्य लगवाएं।
रोग के कारण, लक्षण और बचाव पर हुई गहन चर्चा
डॉ. नवीन कुमार साहू ने रेबीज रोग के कारणों, विभिन्न लक्षणों, इसके प्रसार और इसे रोकने के उपायों के बारे में विस्तार से समझाया, जिससे बच्चों में इस विषय की स्पष्ट समझ विकसित हुई।
शैक्षणिक समुदाय का सक्रिय सहयोग
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में पूर्व माध्यमिक शाला, डोगाम के हेडमास्टर श्रीमती अनुषा जॉन, सहायक शिक्षक श्री दिनेश ठाकुर, सुश्री रिया द्विवेदी और श्री अखिलेश कुमार ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। दोनों संस्थानों के छात्र-छात्राओं ने भी उत्साहपूर्वक इस जागरूकता सत्र में भाग लिया और अपनी जिज्ञासाओं का समाधान किया।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल बच्चों को जागरूक करना था, बल्कि उन्हें इस बात के लिए प्रेरित करना भी था कि वे समुदाय में 'हेल्थ एंबेसडर' की भूमिका निभाते हुए रेबीज के खिलाफ इस ज्ञान को और लोगों तक पहुँचाएँ।
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