जनजाति गौरव दिवस: बिरसा मुंडा से लेकर असंख्य वीरों तक, जानें इसका महत्व - विधायक चैतराम अटामी

जनजाति गौरव दिवस सिर्फ बिरसा मुंडा को नहीं, आदिवासी समाज के सभी महापुरुषों को समर्पित: विधायक चैतराम अटामी

जनजाति गौरव दिवस पर विधायक चैतराम अटामी ने कहा बिरसामुंडा से लेकर असंख्यवीरों तक जाने इसका महत्व

दंतेवाड़ा। विधायक चैतराम अटामी ने कहा है कि जनजाति गौरव दिवस केवल भगवान बिरसा मुंडा की स्मृति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आदिवासी समाज के उन असंख्य वीर सपूतों और महानायिकाओं को समर्पित है, जिन्होंने देश की आज़ादी, संस्कृति और समाज सुधार के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया।

बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती का विशेष वर्ष

विधायक अटामी ने बताया कि वर्ष 2025 भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती का विशेष वर्ष होगा। धरती आबा बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के अलिहातू में हुआ था। उन्होंने जल, जंगल, जमीन और जनजातीय अस्मिता की रक्षा के लिए अंग्रेजों के खिलाफ उलगुलान आंदोलन का नेतृत्व किया। 9 जून 1900 को जेल में उनका रहस्यमय ढंग से निधन हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी दिन को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया है।

अन्य आदिवासी महानायकों का योगदान

अटामी ने अपने संबोधन में देश के कोने-कोने से आदिवासी नायक-नायिकाओं के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा, "नागालैंड की रानी गाइडनल्यू, राजस्थान के गोविंद गुरुरानी दुर्गावतीतिलका माजीअल्लूरी सीताराम राजूसिद्धू-कानू मुर्मू जैसे जनजातीय महानायक भारतीय इतिहास का अविभाज्य हिस्सा हैं। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक फैले जनजातीय समाज ने स्वतंत्रता आंदोलन, संस्कृति-संरक्षण और पर्यावरण रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाई है।"

भारत के मूल निवासी और वैश्विक परिप्रेक्ष्य

विधायक अटामी ने एक महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर इशारा करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित विश्व मूल निवासी दिवस (9 अगस्त) की अवधारणा भारत के संदर्भ में पूरी तरह प्रासंगिक नहीं है। उन्होंने कहा, "भारत में रहने वाला जनजातीय समाज और अन्य सभी समुदाय यहीं के मूल निवासी हैं। यहां अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसा नरसंहार कभी नहीं हुआ। जनजातीय समाज भारतीय संस्कृति के संवाहक रहे हैं।"

नई पीढ़ी तक पहुंचाना है विरासत

अपने संबोधन के अंत में विधायक चैतराम अटामी ने जोर देकर कहा कि जनजातीय इतिहास और सांस्कृतिक विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। जनजाति गौरव दिवस इसी प्रेरणा को मजबूत करने और आदिवासी समाज के गौरवशाली अध्याय को रेखांकित करने का काम करता है।


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basant dahiya

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