कृत्रिम पैर मिलने पर आभार जताने उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के निवास पहुंचे बस्तर नक्सल पीड़ित ग्रामीण
- वनोपज संग्रहण के दौरान नक्सलियों द्वारा बिछाए आईईडी की चपेट में आकर कई ग्रामीण गंवा चुके हैं अपने पैर
रायपुर। वनोपज संग्रहण व अपनी दैनिक जीवनचर्या के बीच आदिवासी ग्रामीण जंगलों के रास्ते गुजरते हैं। जवानों को नुकसान पहुंचाने की ताक में यहां नक्सलियों द्वारा लगाए कई स्थानों पर आईईडी बमों को प्लांट किया जाता है। जिनकी चपेट में अक्सर बेकसुर ग्रामीण आ जाते हैं। आईईडी ब्लास्ट की अलग-अलग घटनाओं में अपना पैर गंवाकर अपाहिज की दर्दभरी जिंदगी जी रहे बस्तर के ग्रामीणों को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश व उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा की पहल पर कृत्रिम पैर का संबल मिल रहा है। पहले चरण में नक्सल हिंसा प्रभावित ऐसे 6 लोगों को फिजिकल रेफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर समाज कल्याण परिसर माना कैंप रायपुर में कृत्रिम पैर लगाकर चलने की ट्रेनिंग दी गई। बस्तर के आदिवासी ग्रामीण कृत्रिम पैर पाकर इतने भावुक हो गए कि खुद अपने पैरों से चलकर शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के निवास पहुंच गए और आभार व्यक्त किया।
बस्तर क्षेत्र के लगभग 70 नक्सल पीड़ितों ने बस्तर शांति समिति की पहल पर सितंबर माह में दिल्ली के जंतर मंतर में प्रदर्शन किया था। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर आप बीती सुनाते बस्तर में शांति की गुहार लगाई थी। दिल्ली से लौटने पर उपमुख्यमंत्री व गृह मंत्री विजय शर्मा ने अपने निवास कार्यालय में पीड़ितों से बात कर उनका हालचाल जाना था। इस दौरान उन्होंने आईईडी ब्लास्ट में पैर गवा चुके पीड़ितों के कृत्रिम पैर लगवाने के निर्देश दिए थे।
समाज कल्याण विभाग के सहयोग से नक्सल हिंसा पीड़ितों को कृत्रिम अंग लगाने की शुरुआत की गई है। कृत्रिम पैर लगाने के लिए बस्तर से 9 नक्सल पीड़ित का आना तय हुआ था, किंतु व्यक्तिगत कारणों से 3 पीड़ित अभी नहीं पहुंच पाए। इस प्रकार 6 नक्सल पीड़ित गुड्डू लेकाम बीजापुर, अवलम मारा बीजापुर, सुक्की मड़कम सुकमा, सोमली खत्री बीजापुर, खैरकम जोगा बीजापुर, राजाराम बीजापुर को फिजिकल रेफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर समाज कल्याण परिसर माना कैंप रायपुर में कृत्रिम पैर लगाए गए।
उपमुख्यमंत्री के निवास में नक्सल पीड़ितों ने अपनी भावनाएं व्यक्त की। उन्होंने कहा किअब वे जिंदगी में आगे बढ़ने और कुछ हासिल करने की सोच सकते हैं। हालांकि नक्सलियों ने जो छीना है उसकी भरपाई नहीं हो सकती। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की संवेदनशीलता से उन्हें कृत्रिम पैर सुलभ होने के साथ जीवन में नया उत्साह आया है। इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार का आभार व्यक्त किया।