मां दंतेश्वरी मंदिर के मुख्य द्वार पर बैठे भिक्षुकों की अनबन से श्रद्धालु होते हैं असहज
भिक्षुकों के बैठने के लिए सुरक्षित स्थान तय करने की दरकार
जगदलपुर(समग्रविश्व)। इन दिनों
बस्तर का सबसे बड़ा त्योहार दशहरा पर्व मनाया जा रहा है। सिरहासार चौक में दशहरा के
लिए आठ पहियों वाला विजय रथ बनाया जा रहा है। बस्तर की आराध्य मां दंतेश्वरी मंदिर
में रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। संभाग के अलावा यहां अन्य
प्रांतों से व विदेशी पर्यटक भी आते हैं। मां दंतेश्वरी मंदिर में प्रवेश के लिए
बने सिंह ड्योढ़ी के संकरे रास्ते के दोनों किनारों पर भिक्षुक बैठे रहते हैं। इनके
बीच आए दिन होने वाली अनबन से श्रद्धालु असहज होते हैं। दंतेश्वरी मंदिर के रखरखाव
व व्यवस्था का सारा दाराेमदार कलेक्टर व तहसीलदार के जिम्मे है। लेकिन इस ओर ध्यान
अब तक नहीं गया है।
यहां बैठने वाले भिक्षुकों के बीच आए दिन अनबन होती रहती है और वे अपशब्दों का प्रयोग करते हैं। किसी के रोकने-टोकने पर वे उसके साथ भी बहस करते हैं। अक्सर वे मंदिर के अंदर घुस आते हैं। मंदिर के बाहर बने सिंह के पास कपड़े तक सुखाते हैं। मंदिर के प्रमुख पुजारियों का कहना है कि श्रद्धालुओं द्वारा भिक्षुकों को दान के रूप जो नकद रुपए दिए जाते हैं इससे वे मादक पदार्थों का सेवन करते हैं। इन भिक्षुकों के बैठाने अलग से व्यवस्था की आवश्यकता है जिससे आने जाने वाले श्रद्धालु असहज न हो और भिक्षुक भी आने-जाने वाले वाहनों से दुर्घटनाग्रस्त न हो।
पुलिस की तैनाती नहीं
मां दंतेश्वरी मंदिर के पुजारियों ने चर्चा में बताया
कि पहले यहां हमेशा पुलिस की तैनाती रहती थी लेकिन अब यहां से जवानों को हटा दिया
गया है। पुलिस के रहते यहां सब व्यवस्थित रहता था और भिक्षुक भी नियंत्रण में रहते
थे। देश-विदेश और अन्य प्रांतों से आने वाले श्रद्धालु भी पुलिस की तैनाती से
सुरक्षित महसूस करते थे। कुछ लोगों का कहना है कि कभी कभार मंदिर के आसपास
असामाजिक तत्वों को भी देखा गया है जो पुलिस जैसे कपड़े पहने थे।
गली संकरी और घुस आते हैं मालवाहक
दंतेश्वरी मंदिर में सिंह ड्योढ़ी जहां से प्रवेश किया
जाता है। राजमहल और मंदिर के इस ऐतेहासिक स्थल पर दिनभर श्रद्धालु आते रहते हैं।
दोनों ओर भिक्षुकों के बैठ जाने के बाद गली और भी संकरी हो जाती है। श्रद्धालु
यहां दुपहिया एवं चार पहिया छाेटे वाहनों से प्रवेश करते हैं। बड़े वाहनों से भी परेशानी
होती है लेकिन अक्सर छोटे-बड़े मालवाहक भी घुस जाते हैं। ऐसी स्थिति में दुर्घटना
भी हो सकती है।
टेंपल कमेटी ने समस्या की दी है जानकारी
टेंपल कमेटी के वरिष्ठ सदस्य रूपेश नारंग का कहना है कि मंदिर के प्रवेश द्वार पर पार्किंग की भी समस्या है। यहां दोनों ओर भिक्षुक बैठे होते हैं और सामने नारियल बेचने वालों ने अपनी दुकानें सजाई हुई हैं। दुपहिया वाहनों से आने वाले श्रद्धालु द्वार तक अपनी वाहन पार्क करते हैं। जूते-चप्पल रखने तक की कोई व्यवस्था यहां नहीं है। टेंपल कमेटी के द्वारा समय-समय पर प्रशासन को सुझाव दिया गया है लेकिन कार्रवाई नहीं हुई है।
जल्द किया जाएगा व्यवस्थापन
समग्रविश्व के द्वारा इस संबंध में इस संबंध में टेंपल कमेटी के सचिव एवं तहसीलदार रूपेश मरकाम से चर्चा की गई उनका कहना है कि जल्द ही व्यवस्था दुरूस्त की जाएगी। मंदिर के किनारे बैठने वाले भिक्षुकों के संबंध में जानकारी मिली है जल्द ही उनका व्यवस्थापन किया जाएगा। इसके अलावा पुलिस विभाग में पत्र भेजकर यहां पुलिस जवान की तैनाती भी करवाई जाएगी।